गगन पर देश हमारा

गगन पर देश हमारा , चलो तो साहिब मिल जावे ।।

पांच तत्व त्रिगुण नीचा , ता पर अलख लखाय ।
तीन लोक पर अमर अखाड़ा , देख काल डर जावे ।।

बणिया गुणिया दोनों थकिया , समझ्योडा उलझावे ।
स्वर्ग नरक की गेल मे , फिर फिर गोता खावे ।।

निराकार आकार नहीं है , सिर्गुण निर्गुण नाही ।
चोदह लोक अगम के आगे , हँस रहा लिपटाई ।।

रामानंद सतगुरु मिल गया , दीन्या भेद बताई ।।
कहे कबीर सुनो भाई साधौ , आवागमन मिट जावे ।।


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