सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

प्रदर्शित

प्रश्नात्मक वाणी -गगन में बह चलों भाई

गगन में बह चलों भाई,गगन में बह चलों भाई । सतगुरु दीनी सैन सैन में बेगम दर्शाई ।। पहले से तो हम जनमिया, पीछे बडा भाई, बेटी जायों बाप ने तो साख कुण की भराई ।। पहले से तो दही बिलोया पीछे गऊआ दुहाई । बछड़ा वांके रहा पेट में माखन हाट बिकाई ।। चींटी चाली सासरे तो नो मण सुरमों सार । हस्थी लीन्या गोद में तो ऊंट लिया लटकाई ।। अंडा था तब बोलता जी बच्चा बोलें नाई । कहत कबीर सुनो भाई साधो पंडता ने गम नाई ।। गगन में बह चलो भाई...........

हाल ही की पोस्ट

Nirgun bhajan

इन्द्रिय वशीकरण

थारी महिमा सबसे न्यारी - भजन

हंसा कहां से आया रे निर्गुणी भजन

बिणजारो बालद ले आयो

रचना भजन

गुरु महिमा :- केवटियो म्हाने मिल गयो जी , कर दियो भव से पार ।

कालभेदी भजन

गगन पर देश हमारा

निर्गुण भजन