प्रश्नात्मक वाणी -गगन में बह चलों भाई
गगन में बह चलों भाई,गगन में बह चलों भाई । सतगुरु दीनी सैन सैन में बेगम दर्शाई ।। पहले से तो हम जनमिया, पीछे बडा भाई, बेटी जायों बाप ने तो साख कुण की भराई ।। पहले से तो दही बिलोया पीछे गऊआ दुहाई । बछड़ा वांके रहा पेट में माखन हाट बिकाई ।। चींटी चाली सासरे तो नो मण सुरमों सार । हस्थी लीन्या गोद में तो ऊंट लिया लटकाई ।। अंडा था तब बोलता जी बच्चा बोलें नाई । कहत कबीर सुनो भाई साधो पंडता ने गम नाई ।। गगन में बह चलो भाई...........